जयपुर. एक तरफ कोरोना और दूसरी तरफ रोजगार...बस जिंदगी इन्हीं पाटों में फंस गई है। किसी का जमा जमाया धंधा बंद हो गया है तो हजारों किलोमीटर से आए मजदूर बेबस...बेचैन हैं। ऐसी ही कुछ परिवारों ने अपना दर्द भास्कर से सांझा किया। दर्द है एमपी के राजगढ़ से आए धन सिंह का। धन सिंह चार साल के बेटे और परिवार के 11 सदस्यों के साथ डूंगरगढ़ में कटाई करने के लिए आए थे।..इसी दौरान लॉकडाउन हो गया। लिखमडिसर के सरपंच ने कागज पर लिखकर दिया कि ...पुलिस परेशान न करे और घर पहुंचाए..और ट्रक पर बैठा दिया। बेबस और लाचार धन सिंह कुछ दूर ट्रक से आए तो कई मील चलते रहे।
भूख और प्यास थी कि पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी। कहीं मददगारों ने खाना खिलाया तो कहीं कुछ पैसे से मदद की। खैर..येन केन प्रकारेण धन सिंह जयपुर पहुंच ही गए। यहां उन्होंने सरपंच की चिट्ठी पुलिस वाले को दी तो उस भलेमानस सिपाही ने उन्हें शेल्टर रूम तक पहुंचा दिया। अब धन सिंह को दो जून की रोटी तो मिल रही है, लेकिन गांव की चिंता ने उन्हें कमजोर बना दिया है।
सिंधीकैंप में जेंट्स पार्लर है, हम ताे गांव जा रहे थे, यहां ले आए
सिंधीकैंप में जेंट्स पार्लर चलाने वाले मुरादाबाद निवासी दीपक ठाकुर बताते हैं कि 25 हजार रूपए प्रतिमाह में दुकान किराए पर ली है। इसमें पार्लर चलाते हैं। लाॅक डाउन में मुरादाबाद जाने के लिए सिंधीकैंप आए थे। बस नहीं मिली ताे ट्रांसपाेर्ट नगर पहुंचे। कुछ साथी बस में बैठकर मुरादाबाद चले गए। यहां वह अकेला रह गया। दूसरी बस आती इससे पहले ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया और शेल्टर हाेम में ले आई।
ट्रांसपोर्ट नगर पहुंचे तो पुलिस गीताभवन शेल्टर होम ले आई
उत्तराखंड के संदीप सिंह, पंकज सिंह और प्रमाेद सिंह बताते हैं कि तीनाें अजमेर में हाेटल में कुक हैं। लाॅक डाॅउन में हाेटल बंद हाे गया तब वे जयपुर आ गए। आनंदपुरी में दाेस्त राहुल रहता है। राहुल लाॅक डाउन से पहले ही उत्तराखंड चला गया था। उन्होंने मकान मालिक से चाबी ली और रहने लगे। दूसरे दिन ही काॅलाेनी के लाेग मास्क लगाकर डंडे लेकर आए और मकान मालिक पर दबाव बनाकर निकलवा दिया। तीनों ट्रांसपार्ट नगर पहुंचे। पुलिस उन्हें गीता भवन ले आई। यहां एक कमरे में एक व्यक्ति काे राेका गया है। खाने पीने की कमी नहीं है। बस गांव में रह रहे माता-पिता की चिंता है।